नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम मधुमक्खी पालन और शहद के व्यापार के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, मधुमक्खी पालन का व्यवसाय कैसे करें? मधुमक्खी की खेती कैसे करते हैं? शहद का उत्पादन कैसे किया जाता है? मधुमक्खी फार्म की जानकारी। आदि।
अगर आप मधुमक्खी पालन के बारे में जानना चाहते हैं या मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें। निश्चत ही यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
मधुमक्खी पालन व शहद का व्यवसाय कैसे करे , जाने हिंदी में
नमस्कार दोस्तों आज हम मधुमक्खी का पालन कैसे करे क्यू की हमारे देश में इतनी बेरोजगारी फैल गयी है की हम सोच नहीं सकते। इसलिए हमे स्व:य का रोजगार करना और सीखना चाहिए। मधुमक्खी का पालन कैसे किया जाता है, और उसका शहद कैसे निकाला जाता है उसे कैसे बेचा जाता है, इसका प्रशिक्षण खादी ग्रामोद्योग संस्था से लिया जाता है और वही से सभी चीजे मिलती है जैसे की खेत में किस तरह से हम मधुमक्खी की पेटी लगाये इसके बारे में भी बताया जाता है।
मधुमक्खी का पालन हम एक या फिर दो एकड़ में कर सकते है इसके अलावा हम और कुछ भी लगा सकते है। मधुमक्खी यह मेलफिया जात की होती है जिसका हम अच्छी तरह से व्यवसाय कर सकते है। मधुमक्खी पालन करने के लिए उसकी पेटी रहती है जिसे हमे अपने खेत में लगाना होता है। उसके लिए हमे बहोत सतर्कता से रहना पड़ता है जो की हमे या हमारे आजु बाजू रहने वाले व्यक्तियो को हानि ना पहुंचे।
मधुमक्खी की पेटी खेत में कैसे लगाए
(१) हमे सबसे पहले जमीन के उपर पेटी रखने के लिए लकड़ी या लोहे का ढांचा तयार करना चाहिए।
(२) खंबे को जमीन के अंदर गडा दिया जाता है।
(३) लकड़ी या फिर लोहे के ढांचे को खंबे के उपर रख देना चाहिए।
(४) ढांचे के बीच में एक कटोरी रखी जाती है उसके बाद उसमे पानी डाला जाता है जो की चींटी जमीन के तरफ से शहद के पेटी के तरफ ना जाये।
(५) पेटी में आठ लकड़ी होती है, ढांचे के उप्पर मधुमक्खी अपना छाता तयार करती है।
(६) पेटी को बारिस से बचाने के लिए पेटी के उप्पर के भाग के लिए लकड़ी का या फिर टिन का झक्कन तयार करना चाहिए जो की पेटी बरसात में सुरक्षित रहे।
शहद कब तयार होता है और कब निकालते है
(१) रानी मक्खी मार्च व ऑक्टोबर में पेटी के बाहर निकलने की कोशिश करती है। इसके लिए बहोत ध्यान रखना पड़ता है।
(२) दसहरे के बाद पेटी के अंदर नई मधुमक्खी का जन्म होता है उसके बाद उस पेटी में बहोत शहद तयार होता है।
(३) जितनी ज्यादा रानी मधुमक्खी रहेंगी उतना ज्यादा शहद तयार होता है।
(४) ऑक्टोबर व नोव्हेंबर में बहोत शहद मिलता है।
(५) मार्च और अप्रैल में हंगाम सुरु हो जाता है।
(६) शहद निकालने के लिए हमे स्टिल से एक टाकी जैसा उपकरण बनाना पड़ता है फिर टाकी के अंदर मधुमक्खी का छत्ता डालकर उसको फिर बाहर से हैंडल को घुमाना पडता है, उससे शहद बाहर निकलता है।
(७) मधुमक्खी के छत्ते को और शहद को हात न लगाते हुए हम शहद निकाल सकते है।
मधुमक्खी पालन करने के फायदे
(१) मधुमक्खी के द्वारा हमे शहद मिलता है।
(२) मधुमक्खी के छत्ते से हमे मेण मिलता है।
(३) मधुमक्खी का शहद बेच कर हम अपना व्यवसाय सुरु कर सकते है।
(४) शहद को ३०० ते ४०० प्रति की.ग्रा का रेट मिलता है।
(५) एक वर्ष में हम ३० ते ३५ पेटी शहद तयार कर सकते है।
(६) मधुमक्खी का शहद हमारे शरीर के लिए आयुर्वेदिक माना जाता है।
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